'इश्क़ की आग'
Muzaffarpur Bihar India, April 8, 2025, 6:45 p.m.हर रात चुपचाप लिपट जाती है तन्हाइयों से,
कोई इन अंधेरों में उजाले का नक्शा बनवा दो!
दिल जो टुकड़ों में बँटा है अब रूह से भी ज्यादा,
कोई इन बिखरे हिस्सों को फिर से सिलवा दो!!
पागल से हो गए हैं हम उनके इश्क़ में,
पर कोई इश्क़ की मुहर तो लगवा दो!
कहा ज़िंदा हैं हम उनके बग़ैर,
अब तो कोई मेरे मरने की सनद दिलवा दो!!
अब इश्क़ से नहीं, खुद से शिकवा है ज़्यादा,
कोई हमारी मोहब्बत को भी मुकम्मल बनवा दो!
इतना आसान नहीं है हर रोज़ मरना यारो,
अब तो कोई इस मोहब्बत की चिता को हवा लगवा दो!!
~ निराश
