गुज़ारिश है कि तुम रोज़, रात को छत पे आया करो,
कि चाँद में तेरा अक्स देखकर ही, गुज़ारा होता है मेरा !
सुना है कि वो ज़िद्दी हैं बहुत,
काश उनकी ये ज़िद, मुझसे मोहब्बत की भी होती !
बहुत ज़लील कर लिया तूने, ऐ ज़िंदगी अब तक,
रुकेगी नहीं ये कारवां, अब तेरे सँवरने तक!
"हाथों की लकीरें "
Muzaffarpur Bihar India, April 9, 2025, 4 p.m.पूछा जो ख़ुदा से, क्यों हाथों की लकीरें पूरी नहीं खींचीं!
कहा उसने — तेरी कहानी अभी पूरी नहीं लिखी!!
कर रहा था मैं तेरी ख़्वाहिशें पूरी,
पर तेरी रूह ने ही तेरे हाथ खींच ली!
दिया तो था एक और मौका तुझे,
पर तेरे अपनों ने ही उस पर तेरी बर्बादी खींच दी!!
सुना था ग़ालिब से कि इश्क़ ने निकम्मा कर दिया,
पर पता चला आज कि हम भी आदमी थे कुछ काम के।
इश्क़ ने जो छीना, वो भी इक दौलत ही थी शायद,
लुटा के बैठे हैं अब पनघट पे, वो भी बिन नाव के।
हमने चाहा डूबना भी हो सलीके से,
पर दरिया ने पी लिया सारा पानी, रह गए हम बिन बहाव के।
सुना था ग़ालिब से कि इश्क़ ने निकम्मा कर दिया,
पर पता चला आज कि हम भी आदमी थे कुछ काम के।
'इश्क़ की आग'
Muzaffarpur Bihar India, April 8, 2025, 6:45 p.m.हर रात चुपचाप लिपट जाती है तन्हाइयों से,
कोई इन अंधेरों में उजाले का नक्शा बनवा दो!
दिल जो टुकड़ों में बँटा है अब रूह से भी ज्यादा,
कोई इन बिखरे हिस्सों को फिर से सिलवा दो!!
पागल से हो गए हैं हम उनके इश्क़ में,
पर कोई इश्क़ की मुहर तो लगवा दो!
कहा ज़िंदा हैं हम उनके बग़ैर,
अब तो कोई मेरे मरने की सनद दिलवा दो!!
अब इश्क़ से नहीं, खुद से शिकवा है ज़्यादा,
कोई हमारी मोहब्बत को भी मुकम्मल बनवा दो!
इतना आसान नहीं है हर रोज़ मरना यारो,
अब तो कोई इस मोहब्बत की चिता को हवा लगवा दो!!
ज़हर
Muzaffarpur Bihar India, April 8, 2025, 6 p.m.पिया था ज़हर बरसों पहले दवा समझकर,
अब तो कोई इसकी असर कम करवा दो!
टूट चुके हैं अब तो काँटों की चुभन से,
कोई हमें उसकी यादों से अलग करवा दो!
हमने इश्क़ को इबादत समझा था कभी,
ऐ खुदा,अब तो मुझे इस मजहब से अलग करवा दो!
Life
Pune, India, Jan. 24, 2025, 4 p.m."लकीरें"
Pune, India, Dec. 21, 2024, 3:45 p.m.ढूंढ़ता रहा उसे जो कभी था ही नहीं !
आज उस ‘आस’ को छूटते देख रहा हूँ !!
करता रहा गलतियां बार बार, हर बार !
आज उस ‘काश’ को डूबते देख रहा हूँ !!
दुआ मांगता रहा मस्जिदों में, मंदिरों में
आज उस ‘विश्वास’ को उठते देख रहा हूँ !!
अर्पण करता रहा फूल उनके सर माथे पे !
आज उन फूलों को बिखरते देख रहा हूँ !!
देखता रहा सदियों से सुनहरे सपनें !
आज उन सपनों को टूटते देख रहा हूँ !!
खींचता रहा लकीरें, ठहरे पानी में !
आज उन लकीरों को मिटते देख रहा हूँ !!
कल रात चाँद देखा, पूछा मेरी चांदनी कब दोगे?
सुबह उठा, उनका पैगाम सिरहाने के करीब था!
जिंदगी उसके नाम कर दूँ, गर कोई अपनाने वाला हो !
पीके ज़हर कुर्बान कर दूँ, गर कोई दफ़नाने वाला हो !!
न दौलत में, न सूरत में, मोहब्बत तो छिपा है इंसानो की सीरत में !
ये पनपता नहीं किसी की शर्तों में, रुकता नहीं किसी की बंदिशों में !!
हर दूरियां मिट जाती है, जब दिल करीब होते है !
वरना एक छत के नीचे भी लोग अनजान होते हैं !!
सजदा किया जिनके अश्कों पे, उनका हर अंदाज काफिराना निकला !
हम भींगते रहें उनके आंसुओं से, जिनकी सोहबत झूठों का अम्बार निकला !!
"Reconstructing is much tougher than creating, whether in life or elsewhere."
"Marriage is an endeavor that requires an 'entrepreneurial' attitude."
"Often; blaming others is an artifice act of self."
"Work hard, but smartly!"
वो कहते हैं, खुद को जान लो, मुड़ के देखा पर जान न सका !
अब दोष क्या दूँ आईने को, वो भी तो मुझे पहचान न सका !!
"ख्वाब"
Radhadesh, Belgium, March 24, 2024, midnightशायद खुद को दफनाना आसान होता, कुछ अरमानो की जगह !
खुदा भी नुका-छिपी खेल रहा है, अपने इरादे बताने की जगह !!
सदियों से ढूंढ रहा हूँ उसे हर चेहरे में, अनजाने पागल की तरह !
ऐ खुदा अब तो बना दे उसे मेरे लिए, मुझे ही मिटाने की जगह !!
रोक नहीं सकता सैलाब कश्ती को, डर है बस खुदा के रूठ जाने का!
"Friendship"
San Raman, USA, Sept. 16, 2011, 8:55 p.m.दोस्ती नाम का इमान रखना, किया है जो वादा, ख्याल रखना !
मिली दोस्ती की इस धरोहर को, हर कीमत पर बचाये रखना !!
चाहे ख़ुशी हो या गम, हमेशा दोस्ती का साथ निभाये रखना !
लाखों दोस्त मिलें तुम्हें, पर इस दोस्ती का मशाल जलाये रखना !!